Lightning arrester का उपयोग high voltage की surge से बचने के लिए किया जाता है ताकि जब कभी भी बारिश के दिनों में आकाशीय बिजली गिरे तो यह Lightning arrester उस surge voltage को ground कर दें और circuit से जुड़े उपकरण जलने या damage होने से बच जाएं।
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Table of Contents
Working principle of lightning arrester:-
- Lightning arrester को इस तरह से डिजाइन किया गया होता है कि सामान्य voltage पर इसका resistance बहुत अधिक होता है जिसके कारण यह अपने अंदर से current को earth में नहीं जाने देता है ।
- जैसे ही लाइन पर lightning stroke अर्थात आकाशीय बिजली गिरती है तो उस high voltage की स्थिति में Lightning arrester के resistance का मान बहुत कम हो जाता है और Lightning arrester के बीच की वायु ( जो इंसुलेशन का कार्य करती है ) ब्रेकडाउन होकर ionized हो जाती है और एक कंडक्टर की तरह कार्य करने लगती है जिसके कारण Lightning arrester के contact अर्थात लाइटिंग अरेस्टर का वह हिस्सा जो लाइन के साथ कनेक्ट है जिसकी हमें रक्षण करनी है तथा दूसरा वह जो ground से connect है उनके मध्य arc उत्पन्न हो जाती है और faulty current earth में चली जाती है।
- सम्पूर्ण surge voltage के earth में जाने के बाद Lightning arrester का प्रतिरोध उस voltage के लिए के लिए पुनः high हो जाता है जिस voltage के लिए इसे डिजाइन किया गया होता है। और पुनः system सुचारु रुप से चलने लगता है।
- इस प्रकार एक Lightning arrester हमारे उपकरणों को खराब होने से बचाता है।
Type of lightning arrester:-
नीचे कुछ मुख्य lightning arrester के नाम दिए गए हैं इनमें से कुछ के बारे में आगे विस्तार से पड़ेंगे कि उनकी बनावट किस तरह की होती है और वह किस वोल्टेज लेवल के लिए उपयोग किए जाते हैं ।
1. Rod gap arrester:-
- यह बहुत आसान व साधारण Lightning arrester है । इसमें copper या aluminium की बनी दो छड़े होती हैं। यह दोनों छड़े 90° डिग्री पर मुड़ी हुई लगी होती हैं ।
- इन दोनों छड़ो में से एक छड़ उस लाइन के समांतर में लगी होती है जिसकी हमें रक्षण करनी है तथा दूसरी छड़ earth से सम्पर्कित होती है ।
- यह दोनों छड़ एक पोर्सलीन से बने insulator के ऊपर स्थित होती हैं । दोनों छड़ो के मध्य कुछ air gap होता है जिसमें air एक insulator की तरह कार्य करता है ।
- Insulator तथा छड़ के मध्य की दूरी छड़ की लंबाई का 1/3 cm रखा जाता है ताकि जब Lightning stroke हो तो उससे उत्पन्न होने वाली arc insulator को न जला सके । अन्यथा की स्थिति में insulator और छड़ के मध्य की दूरी कम होने पर उत्पन्न arc से insulator जलने का डर होता है ।
- सामान्य की अवस्था में यह एक insulator की तरह कार्य करता है लेकिन high voltage उत्पन्न होने की स्थिति में यह अपने अंदर से current को नहीं जाने देता है।
- जैसे ही lightning होती है तो उस स्थिति में दोनों छड़ो के बीच की जो जगह होती है वह break down होकर ionized हो जाती है और वहां की air एक conductor की तरह व्यवहार करने लगती है। और दोनों छड़ो के मध्य arc उत्पन्न हो जाती है और संपूर्ण surge voltage या faulty current earth में चला जाता है ।
- जैसे ही surge voltage समाप्त हो जाता है तो छड़ो के बीच का arc बुझ जाता है और वहां की वायु पुनः एक insulator की तरह कार्य करने लगती है। इस तरह से Rod gap arrester द्वारा उपकरणों को रक्षा प्रदान की जाती है।
1.1 Application:-
- इनका उपयोग 66kv के ऊपर के voltage level के लिए किया जाता है।
- इनका उपयोग transmission lines, distribution lines ,transformer की बुशिंग में किया जाता है।
1.2 Limitation:-
- Over voltage के समाप्त हो जाने के पश्चात भी arc साधारण voltage supply पर भी बनी रहती है । जिसके कारण साधारण voltage भी earth में जाता रहता है ।
- अधिक arc के उत्पन्न होने के कारण छड़े खराब हो सकती हैं ।
- वर्षा ,कोहरा ,आद्रता आदि rod gap arrester की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं ।
इन सभी disadvantages के कारण rod gap arrester को केवल backup protection के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
2. Horn gap arrester:-
- Horn gap arrester में दो छड़े होती है जो सींग की आकृति की होती हैं । इन दोनों छड़ो के बीच एक छोटा सा air gap होता है ।
- दोनों छड़ो को पोर्सलीन से बने insulator पर लगाया जाता है ।
- Horn gap arrester का एक सिरा प्रतिरोध व choke के द्वारा उस लाइन से जुड़ा होता है जिसकी रक्षा करनी होती है तथा दूसरा सिरा earth से connect होता है ।
- Horn gap arrester में लगा resistance धारा के मान को सीमित करता है और करंट के मान को घटाता है ।
- Horn gap arrester में लगा choke coil इस प्रकार बना होता है कि उसका प्रेरकत्व सामान्य आवृत्ति की वोल्टेज पर कम होता है लेकिन high voltage की आवृत्ति पर प्रेरकत्व का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है । इस प्रकार choke coil high voltage को उपकरण के अंदर नहीं आने देता ।
- दोनों छड़ो के मध्य की air gap को इस प्रकार रखा जाता है कि सामान्य धारा या voltage इस gap को पार नहीं कर पाते , परंतु जब कोई बिजली गिरती है तो दोनों छड़ो के मध्य का माध्यम ionized हो जाता है और इस gap में arc उत्पन्न हो जाती है ।
- इस प्रकार high voltage arc का रूप लेकर भू सम्पर्कित हो जाती है ।
2.1 Advantages:-
- Horn gap arrester के छड़ो के मध्य उत्पन्न arc high voltage के समाप्त हो जाने के बाद स्वयं समाप्त हो जाती है। जिसके कारण surge voltage के समाप्त होने के बाद short circuit की condition नहीं बनती ।
- इसमें लगा resistance धारा के मान को सीमित करता है ।
2.2 Disadvantages:-
- इस arrester के दोनों छड़ो के मध्य खाली जगह में पक्षी आदि के आ जाने से यह उपकरण कार्य लायक नहीं होता ।
- इसका प्रचालन समय बहुत अधिक होता है ।
- इन सभी हानियों के कारण यह lightning arrester विश्वसनीय नहीं है ।
- Rod gap arrester की तरह इसका उपयोग भी backup protection के लिए किया जाता है।
3. Multigap lightning arrester:-
3.1 Construction:-
- इस अरेस्टर का नाम इसकी संरचना के आधार पर रखा गया है क्योंकि इस arrester के अंदर multiple gap होते हैं ।
- इसके अंदर श्रेणी में धातु के सिलेंडर होते हैं जो zink alloy के बने होते हैं । यह धातु के सिलेंडर एक दूसरे से insulated तथा separate होते हैं ।
- इस arrester का पहला सिलेंडर line से जुड़ा होता है और अन्य सीरीज रजिस्टेंस के द्वारा earth से कनेक्ट होते हैं ।
- Multigap arrester में जो gap रखा जाता है उसे उनकी वोल्टेज लेवल के अनुसार रखा जाता है जिस voltage के लिये उन्हें design किया गया होता है।
उदाहरण के तौर पर समझे तो अगर किसी line की voltage ज्यादा है तो उनके बीच gap भी ज्यादा होगा ।
3.2 Working:-
- जब lightning stroke या surge voltage उत्पन्न होती है तो उस high voltage के कारण धातु के सिलेंडर के बीच में जो माध्यम होता है वह break down हो जाता है और वहां की air ionized होकर एक conductor की तरह कार्य करने लगती है। तब सिलेंडरों के मध्य arc उत्पन्न हो जाती है ।
- Arc उत्पन्न हो जाने के कारण current को जाने का एक पाथ मिल जाता है और संपूर्ण surge voltage ग्राउंड में चला जाता है।
- जब surge voltage समाप्त हो जाता है तो B से C की ओर जाने वाली धारा का मान इतना कम हो जाता है कि A के B मध्य का माध्यम ionized नहीं हो पाता है जिसके कारण सामान्य voltage ग्राउंड नहीं हो पाती ।
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Application
- इनका उपयोग 33kv से ऊपर के वोल्टेज के लिए के लिए अधिक नहीं किया जाता है।
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