What is armature in dc machine ? Dc machine में आर्मेचर क्या होती है ? संरचना, कार्य-विधि एवं प्रकार- Electrical Gyan

Written By Akhilesh Patel

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दोस्तों पिछले post में हमनें dc machine के स्टेशनरी part के बारे पढ़ा था कि dc machine में स्टेशनरी पार्ट क्या होता है ? यह कैसे कार्य करता है आदि?  दोस्तो मैंने dc machine की एक series स्टार्ट की है जिसमे dc machine के सारे topics बहुत ही सरल language में cover किया गया है । अगर आप पीछे का पोस्ट नही पढें हैं तो यहाँ पर click करके उन पोस्ट को पढ़ सकते हैं।

 आज के इस पोस्ट में हम armature के बारे में जानेंगे कि what is armature in dc machine ? आर्मेचर क्या होता है ? Armature की संरचना कैसी होती है, armature कितने प्रकार का होता है  ? आर्मेचर कैसे कार्य करता है ? आदि।

Table of Contents

Introduction

दोस्तो जब भी हम dc machine की बात करते हैं तो हम दोनों प्रकार के machine ( dc generator और dc motor की बात करते हैं क्योंकि एक ही dc machine को dc generator एवं dc मोटर की तरह  उपयोग कर सकते हैं ।
जब एक ही dc machine को as a generator एवं motor की तरह उपयोग कर सकते हैं तो उस dc machine की संरचना motor एवं generator के लिए समान ही होगी अर्थात जिस प्रकार का armature generator में उपयोग किया जाएगा ठीक वही armature, motor के लिए भी उपयोग किया जाएगा।

What is armature in dc machine? Dc machine में armature क्या होती है?

Armature , मशीन का वह भाग होता है जो मशीन के अंदर घूमता है चाहे वह मशीन dc generator हो या फिर dc motor । यह बेलनाकार भाग मशीन के magnetic field में स्थित होता है । इसी भाग से machine को electrical energy या mechanical energy दी जाती है या ली जाती है।  इस भाग को machine का armature system या rotating पार्ट कहते हैं । 
Dc machine में armature दो प्रकार का होता है। Cylendrical और बेलनाकार जो कि सिलिकॉन की पतली पतली पट्टियों से मिलकर बना होता है।
Armature सिस्टम , armature winding के लिए आधार प्रदान करता है ।
यह निम्नलिखित  भागो से मिलकर बना होता है….
  1. Armature core
  2. Armature winding
  3. Commutator
  4. Shaft
  5. Brush
  6. Bearing

Armature core

Armature core    सिलिकन steel की पतली पतली प्लेटों से मिलकर बना बेलनाकार भाग armature core कहलाता   है ।  Eddy current एवं hysteresis loss को कम करने के लिए इन silicon steel की प्लेटों को वार्निश द्वारा विद्युतरोधित रखा जाता है । इन पतली पतली पट्टियों को नट बोल्ट की सहायता से आपस मे एक साथ जोड़कर रखा जाता है ।
Armature
Armature



Aramature core के बाहरी सतह पर शाफ़्ट के समांतर slots कटे होते हैं  जिन पर armature winding स्थित होती हैं। Armature core के बाहरी सतह पर कटे हुए खाँचे 2 तरह के होते हैं ।
Armature core
Armature core



  • Open slots
  • Semi-closed slots
Armature core में धुरी के समांतर कुछ hole किये होते हैं । यह छेद इसलिए किया जाता है क्योंकि hysteresis एवं eddy current हानियों के कारण core में ऊष्मा उत्पन्न होती है । इस ऊष्मा को कम करने के लिए Armature core में होल किया हुआ रहता है ताकि जब उसमे से air पास हो तो armature core ठंडा होता रहे ।
Armature slots
Armature slots



Armature winding

जब armature core की बाहरी सतह पर  बने slots में insulated copper wire से winding कर दी जाती है और प्रत्येक coil के ends  को commutator के copper segment से जोड़ दिया जाता है तो इस तरह की वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग कहते हैं।
Armature winding कई armature coil से मिलकर बना होता है ।  आर्मेचर वाइंडिंग का मुख्य कार्य current को carry करना होता है ।
Armature winding
Armature winding



Dc machine में दो प्रकार की  armature winding का प्रयोग किया जाता है।
  1. Lap winding
  2. Wave winding
Lap winding-  DC machine में  lap winding तब किया जाता है जब machine से निम्न voltage पर उच्चविद्युत धारा का काम लेना होता है ।  इस वाइंडिंग में coil का अंतिम सिरा पास की दूसरी coil के प्रथम सिरे से मिला रहता है । यह दोनों सिरे एक ही कॉपर खंड से जुड़े रहते हैं । Lap winding में समांतर पथों की संख्या मशीन के ध्रुवो की संख्या के बराबर होती है ।

Wave winding– DC machine में  wave winding तब किया जाता है जब machine से उच्च voltage पर निम्नविद्युत धारा का काम लेना होता है । इस winding में एक पोल के प्रभाव क्षेत्र में स्थित चालक का एक छोर commutator से  और दूसरा छोर निकट स्थित विपरीत पोल के प्रभाव  क्षेत्र में स्थित चालक से जुड़ा होता है । इस तरह अब चालक का दूसरा छोर commutator से जुड़ा होता है तथा  तीसरा pole के प्रभाव क्षेत्र में स्थित चालक के पहले छोर से जुड़ा होता है । और इस प्रकार वाइंडिंग श्रेणी क्रम में आगे बढ़ता जाता है ।

 Commutator

Commutator भी  एक rotating device है जो स्थायी कार्बन ब्रश की सहायता से जनरेटर के armature से उत्पन्न होने वाली विद्युत् धारा को बाह्य परिपथ तक भेजनें का कार्य करता है और motor की स्थिति मे यही commutator external circuit से armature को धारा प्रदान करता है। यह rotor का एक महत्वपूर्ण व कीमती भाग है। इसे armature के shaft पर ही आरोपित होता है।  यह hard copper का बना होता है जिसमे कॉपर  के छोटे छोटे segment होते हैं। यह  copper segment उच्च गुणवत्ता वाले विद्युतरोधी पदार्थ अभ्रक की लगभग 1mm मोटी layer से एक दूसरे से पृथक रहते हैं।
Commutator


Commutator


Commutator




Note– Commutator का मुख्य कार्य armature से उत्पन्न होने वाली विद्युतधारा  को  बाह्य परिपथ तक पहुंचाना तथा बाह्य परिपथ से धारा को लेकर armature को देना होता हैं।

Shaft

Armature के  सेंटर मे स्थित स्टील की बनी हुई ठोस छड़ होती है जिस पर armature core और commutator  एक कुंजी की सहायता से कसे होते हैं  Shaft कहलाती है। इसी shaft पर  pulley या coupling आदि की भी व्यवस्था होती है जिससे machine को machenical ऊर्जा दी जाती है या machine से machenical ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
Shaft
मोटर शाफ़्ट 


Brush

यह भाग कम्युटेटर पर स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य rotating कम्युटेटर व स्थित बाह्य परिपथ के बीच विद्युत् संपर्क को बनाये रखना होता है।  यह सामान्यतः  कार्बन, कार्बन ग्रेफाईट व copper का बना होता है जिसका आकार आयताकर ठोस  होता है।
कार्बन ब्रश
Carbon brush 


Armature कैसे कार्य करता है?

दोस्तो, आपके मन मे यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर armature कार्य कैसे करती है ? एक मोटर  के अंदर armature कैसे रोटेट करती है या जनरेटर के अंदर armature मे current कैसे उत्पन्न होता हैं ?  तो दोस्तो मै आपको बताता हु कि armature कैसे कार्य करता है?
दोस्तो जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि armature एक rotating पार्ट होता है  जो machine के अंदर घूमता रहता है।  Armature को machine के अंदर रोटेट कराने का सारा खेल magnetic field का होता है। जैसा कि आपने पिछली कक्षाओं मे पढ़ रखा है कि
जब किसी current carrying conductor को magnetic फील्ड़ मे रखा जाता है तो उस conductor पर एक बल  कार्य करने लगता है जिसे torque कहते हैं  जिसके कारण वह conductor घूम जाता है। (यह फैराडे के विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण सिद्धांत के अनुसार होता है।)
Motor की condition मे यही नियम लागू होता है जिसके कारण current carrying,armature coil magnetic field मे रोटेट करने लगता है।
जनरेटर की केस मे ऐसा नहीं होता है। इसमें armature को किसी prime mover की सहायता से घुमाया जाता है। 
जब armature को magnetic field मे किसी prime mover की सहायता से घुमाया जाता है तो फैराडे के विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण सिद्धांत के अनुसार armature की coil मे प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न हो जाती है जिसे कम्युटेटर की सहायता से dc मे परिवर्तित करके ब्रश की सहायता से बाह्य परिपथ को भेज देते हैं।
 इस प्रकार एक dc machine के अंदर armature कार्य करता हैं। 


 आशा करता हूँ की यह पोस्ट आपको पसंद आयी होंगी। अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो कृपया इस पोस्ट को लाइक कर दे और जरूरत मंद को शेयर करें।
धन्यवाद 🙏🙏

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Akhilesh Patel

I am Akhilesh Patel and experienced blogger and the creative mind behind Electrical Gyan, an educational platform dedicated to simplifying complex technical concepts. With 3 years of blogging expertise, I specializes in sharing technical knowledge in a way that's easy to understand, making learning accessible to everyone. Passionate about empowering readers with practical insights, I combines deep expertise with a commitment to clarity, ensuring that every article educates and inspires.

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