Electron theory in Hindi. इलेक्ट्रानो की अधिकता व कमी के कारण वस्तु का धन अथवा ऋण आवेशित होना

Written By Akhilesh Patel

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आप सभी ने कभी न कभी यह जरूर महसूस किया होगा कि ठंडियों के दिनों में जब हम अपने शरीर से ऊनी कपड़ों को उतारते हैं तो हमें चट पट की आवाज सुनाई देती है  या जब हम किसी दो विभिन्न वस्तुओं  को आपस में रगड़ते  तो उनमें हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण आ जाता है । 

Electron theory in Hindi

क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश किया कि शरीर से ऊनी कपड़ों को उतारते समय  चट पट की आवाज क्यों सुनाई देती है ? या दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने पर उसमे हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण कैसे उत्पन्न हो जाता है ? 

इन सब के पीछे का कारण विद्युत आवेश है । 

आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि इलेक्ट्रॉन theory क्या होता है? ( What is Electron theory in Hindi) और किस प्रकार वस्तुएं ऋण और धन आवेशित होती हैं ? 
 
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Electron theory 

हम यह जानते हैं कि  प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना होता है और परमाणु के बीच में एक नाभिक होता है  जो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन नामक कण से मिलकर बना होता है।  नाभिक के अंदर प्रोटान पर धन आवेश होता है जबकि न्यूट्रॉन उदासीन होता है अर्थात न्यूट्रान पर किसी प्रकार का आवेश नहीं होता है । इस प्रकार नाभिक में धन आवेश की अधिकता होने के कारण यह धन आवेशित होता है ।  नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में एक अलग प्रकार का कण चक्कर लगाता रहता है जिसे इलेक्ट्रॉन कहते हैं । इस पर प्रोटॉन के बराबर ही  ऋण आवेश होता है अर्थात यदि नाभिक में प्रोटॉन पर +2e का धन आवेश है  तो इलेक्ट्रॉन पर -2e का ऋण आवेश होगा । इस प्रकार परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या नाभिक में प्रोटानो की संख्या के बराबर होती है । इसलिए कुल परमाणु विद्युत उदासीन होता है  ।  

 वस्तु में कुल विद्युत आवेश = -2e+2e
                           = 0

ऊपर हमने पढ़ा कि किस प्रकार एक परमाणु उदासीन रहता है लेकिन जब किसी परमाणु में से एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन निकाल देते हैं तो उस परमाणु में धन आवेशों की संख्या ज्यादा हो जाती है जिसके कारण वस्तु धन आवेशित हो जाती है ।

इसी प्रकार जब किसी उदासीन परमाणु में से एक या एक से अधिक धन आवेश निकाल देते हैं तो उस वस्तु में ऋण आवेश की संख्या ज्यादा हो जाती है जिसके कारण वस्तु  ऋण आवेशित हो जाती है  । 

इसको  इस  प्रकार समझ सकते हैं कि 

यदि कोई वस्तु धन आवेशित है तो उसके परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटानो की संख्या की अपेक्षा कम है

 और 

 यदि कोई वस्तु ऋण आवेशित है तो उसके परमाणु में प्रोटानो की संख्या इलेक्ट्रॉनों की संख्या की अपेक्षा में कम है ।

 इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों की कमी व अधिकता के कारण कोई वस्तु धनावेशित और ऋणावेशित होती हैं ।

यदि कोई वस्तु ऋणावेशित या धनावेशित होता है तो उस वस्तु के विद्युतीकरण के लिए इलेक्ट्रॉन ही उत्तरदायी होते हैं न की प्रोटॉन ( क्योंकि प्रोटॉन को नाभिक से निकलना सुगम नहीं होता है । 

शरीर से ऊनी कपड़ों को उतारते समय चट पट की आवाज क्यों सुनाई देती 

हमारा शरीर भी विद्युत का सुचालक है जिसके कारण कपड़े पहनते या खोलते समय शरीर और कपड़े के बीच घर्षण होता है; इसके परिणाम स्वरूप इन दोनों में विपरीत आवेश प्रेरित (induced) होते हैं। जब यह आवेश एक दूसरे से टकराते हैं तो उदासीनीकरण प्रक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप ध्वनि और विद्युत ऊर्जा निकलती है। ध्वनि हमें चटचट के रूप में सुनाई देती है, जबकि विद्युत को आप देख सकते हैं यदि आसपास अंधेरा हो तो।

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Akhilesh Patel

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