परिचय
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके मोबाइल फोन की बैटरी कैसे चार्ज होती है या बिजली के तारों से करंट का झटका क्यों लगता? इन सवालों का जवाब छिपा है विद्युत फ्लक्स (Electric Flux ) में, जो एक ऐसी अवधारणा है जो विद्युत क्षेत्रों को समझने में हमारी मदद करती है।
विद्युत फ्लक्स ( Electric Flux) का उपयोग वास्तविक जीवन में कई जगहों पर होता है—जैसे capacitor में जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बिजली स्टोर करने का कार्य करता है, लाइटनिंग रॉड्स में जो इमारतों को बिजली के प्रकोप से बचाते हैं, और यहाँ तक कि बिजली के परिरक्षण में जो हमें खतरनाक करंट से सुरक्षित रखता है।
लेकिन आप जानते है कि विद्युत फ्लक्स को जानना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है? क्योंकि यह हमें प्रकृति के नियमों को समझने, तकनीक को बेहतर बनाने, और रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने की शक्ति देता है। आज के इस लेख में हम आपको Electric Flux विद्युत फ्लक्स के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे और इसके महत्व को आसान शब्दों में बताएंगे जैसे कि Electric Flux क्या होता है ? Electric flux का SI मात्रक क्या होता है ?, Electric Flux का गणितीय सूत्र क्या होता है ? Electric Flux को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं आदि ।

Electric Flux क्या है ? ( What is Electric Flux )
” विद्युत फ़्लक्स (Electric Flux) किसी सतह से गुजरने वाले विद्युत क्षेत्र (Electric Field) की कुल मात्रा को दर्शाने वाला एक भौतिक परिमाण है। यह मापता है कि किसी सतह से कितनी विद्युत क्षेत्र रेखाएँ (Electric Field Lines) गुजर रही हैं। ”
विद्युत फ्लक्स को भौतिकी में ग्रीक अक्षर Φ (फाई) से दर्शाया जाता है। जब इसे विशेष रूप से विद्युत क्षेत्र (electric field) के संदर्भ में लिखा जाता है, तो इसे ΦE लिखा जाता है।
विद्युत फ़्लक्स हम इस तरह से भी समझ सकते है कि
“जब हम किसी वस्तु को विद्युत क्षेत्र में रखते हैं तो उस वस्तु से कितना विद्युत क्षेत्र गुजरता है तो उस वस्तु से गुजरने वाले विद्युत क्षेत्र की मात्रा को ज्ञात करने के लिए जिस टर्म उपयोग किया जाता है उसे ही विद्युत फ़्लक्स कहते हैं।”
सरल शब्दों में, विद्युत फ्लक्स (Electric Flux) एक ऐसी अवधारणा है जो हमें बताती है कि किसी सतह से कितना विद्युत क्षेत्र (Electric Field) गुजरता है।
आइए विद्युत फ़्लक्स को एक उदाहरण लेकर समझते हैं । चित्र में देखें

मान लेते हैं कि S एक समतल पृष्ठ है जिसका क्षेत्रफल A है और E विद्युत क्षेत्र की तीव्रता है जिसे विद्युत बल रेखाओं द्वारा दर्शाया गया है । अब समतल पृष्ठ S को विद्युत क्षेत्र के अभिलंबवत रख देते हैं। अब पृष्ठ S से जितनी विद्युत रेखाएं गुजरेंगी वही उस पृष्ठ की विद्युत फ़्लक्स हो जाएगा ।
इसे और आसान बनाने के लिए, आप इसे पानी के बहाव से जोड़कर देख सकते हैं : मान लीजिए पानी एक जाल से गुजर रहा है, वैसे ही मान लीजिए विद्युत क्षेत्र एक सतह से गुजर रहा है। जितना अधिक पानी जाल से होकर जाएगा, उतना ही अधिक ‘फ्लक्स‘ होगा।
Electric Flux का गणितीय सूत्र (Mathematical Formula of Electric Flux)
विद्युत फ्लक्स (Electric Flux) को निम्नलिखित गणितीय सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:
ΦE=E⋅A⋅cos(θ)
जहाँ:
ΦE = विद्युत फ्लक्स (Electric Flux)
E = विद्युत क्षेत्र (Electric Field)
A = सतह का क्षेत्रफल वेक्टर (Area Vector)
θ = विद्युत क्षेत्र और सतह के लम्बवत (normal) के बीच कोण (Angle)
स्पष्टीकरण:
यदि विद्युत क्षेत्र सतह के लंबवत है ( θ =0° ) , तो cos 0 = 1 और फ्लक्स अधिकतम होता है:
ΦE=EA
यदि विद्युत क्षेत्र सतह के समानांतर है (θ=90° ) ,तो cos 90 = 0 , और फ्लक्स शून्य होता है:
ΦE=0
विद्युत फ्लक्स का SI मात्रक ( SI Unit Of Electric Flux )
विद्युत फ्लक्स (Electric Flux) की SI Unit न्यूटन-मीटर2/कूलॉम (Newton-meter²/Coulomb), जिसे संक्षेप में Nm²/C लिखा जाता है। क्या आप जानते हैं कि विद्युत फ़्लक्स की इकाई न्यूटन-मीटर2/कूलॉम कैसे आया ? आइए जानते हैं इसको :
विद्युत फ्लक्स का सूत्र है:
ΦE=E⋅A⋅cos(θ)
आइए इसे तोड़कर देखें:
- E (विद्युत क्षेत्र की तीव्रता है) जिसकी इकाई है न्यूटन प्रति कूलॉम (N/C) है ।
- A (सतह का क्षेत्रफल) है जिसकी इकाई है मीटर² (m²) है ।
- cos(θ) एक इकाई-रहित (dimensionless) मान है, क्योंकि यह एक अनुपात है।
अब इनका गुणा करें:
ΦE=E⋅A⋅cos(θ)
= N/C * m2
= Nm²/C
इसलिए, विद्युत फ्लक्स की इकाई Nm²/C बनती है ।
Electric Flux को प्रभावित करने वाले कारक
विद्युत फ्लक्स (Electric Flux) को प्रभावित करने वाले कारक उसके गणितीय सूत्र
ΦE=E⋅A⋅cos(θ) से स्पष्ट होते हैं। यह सूत्र हमें बताता है कि विद्युत फ़्लक्स किन-किन चीजों पर निर्भर करता है।
आइए इन्हें विस्तार से और आसान शब्दों में समझते हैं।
1. विद्युत क्षेत्र
माना कि एक समतल पृष्ठ है जिससे होकर कुछ Electric Flux गुजर रहा है ।

अगर सतह से गुजरने वाले electric field का मैग्नीट्यूड ज्यादा होगा तो इस पृष्ठ से होकर गुजरने वाला विद्युत फ़्लक्स भी ज्यादा होगा । इस प्रकार विद्युत फ़्लक्स विद्युत क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है ।
ΦE ∝ E
मान लें एक सतह पर E=5 N/C है। अगर इसे 10 N/C कर दें, तो फ्लक्स दोगुना हो जाएगा (अगर A और θ स्थिर रहें)।
अगर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता बढ़ती है, तो सतह से गुजरने वाला फ्लक्स भी बढ़ जाता है।
2. सतह का क्षेत्रफल
विद्युत फ़्लक्स को प्रभावित करने वाला दूसरा कारक है पृष्ठ का क्षेत्रफल । क्योंकि सतह जितना बड़ा होगा उतना ही विद्युत flux उससे होकर गुजरेगा ।

अगर सतह का क्षेत्रफल 1 m2 से 2 m2 हो जाए, तो फ्लक्स दोगुना हो जाएगा (अगर E और θ वही रहें)। इस प्रकार विद्युत फ़्लक्स सतह के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होता है ।
ΦE ∝ A
3. विद्युत क्षेत्र और सतह के बीच बनने वाला कोण (θ)
विद्युत क्षेत्र और सतह के बीच बनने वाला कोण (θ) विद्युत flux को प्रभावित करने वाला तीसरा सबसे बड़ा कारक है ।θ वह कोण है जो विद्युत क्षेत्र की दिशा और सतह के लंबवत (normal) के बीच होता है। अगर इलेक्ट्रिक फील्ड और पृष्ठ के क्षेत्रफल का कोण 0 डिग्री है तो इस स्थिति में विद्युत flux अधिक होगा क्योंकि सतह से अधिक विद्युत रेखाएं गुजरेंगी । वहीं इलेक्ट्रिक फील्ड और पृष्ठ के क्षेत्रफल के बीच बनने वाला कोण 90 डिग्री होता है तो उस स्थित में विद्युत flux बहुत कम होगा क्योंकि सतह से विद्युत रेखाएं कम गुजरेंगी।

अगर 𝜃 = 0∘ (विद्युत क्षेत्र सतह पर लंबवत है), तो cos(0)=1, और फ्लक्स सबसे ज़्यादा होगा।
अगर 𝜃 = 90∘ (विद्युत क्षेत्र सतह के समानांतर है), तो cos(90)=0, और फ्लक्स शून्य हो जाएगा।
अगर 𝜃 = 180∘ (विपरीत दिशा), तो cos(180)=−1, और फ्लक्स नकारात्मक होगा।
इस प्रकार विद्युत flux को प्रभावित करने वाले ये तीन कारक हैं
1. विद्युत क्षेत्र की ताकत (E): जितना मजबूत, उतना ज्यादा फ्लक्स।
2. सतह का आकार (A): जितनी बड़ी सतह, उतना ज्यादा फ्लक्स।
3. दिशा या कोण (θ): सही दिशा में होने पर फ्लक्स ज्यादा, गलत दिशा में शून्य।
इलेक्ट्रिक फ्लक्स के व्यावहारिक अनुप्रयोग
इलेक्ट्रिक फ्लक्स (Electric Flux) का अवधारणा भौतिकी में बहुत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से वैद्युतिकी (Electromagnetism) के क्षेत्र में। यह किसी सतह से गुजरने वाली विद्युत क्षेत्र की रेखाओं की संख्या को मापता है और गॉस के नियम (Gauss’s Law) का आधार बनता है। इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग कई क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:
1. गॉस के नियम (Gauss’s Law) में उपयोग
इलेक्ट्रिक फ्लक्स का सबसे प्रमुख उपयोग गॉस के नियम में होता है, जिससे किसी बंद सतह के भीतर उपस्थित कुल आवेश की गणना की जाती है। इससे जटिल विद्युत क्षेत्रों को आसानी से विश्लेषित किया जा सकता है।
2. कैपेसिटर डिज़ाइन में
कैपेसिटर में इलेक्ट्रिक फ्लक्स की सहायता से दो प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का आकलन किया जाता है। इससे उसकी स्टोरेज क्षमता (Capacitance) निर्धारित की जाती है।
3. विद्युत इन्सुलेशन परीक्षण में
इलेक्ट्रिक फ्लक्स का उपयोग यह जांचने में किया जाता है कि कोई पदार्थ कितनी अच्छी तरह विद्युत क्षेत्र को रोक या झेल सकता है। इससे इन्सुलेटिंग मटेरियल की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है।
4. ट्रांसफॉर्मर और इलेक्ट्रिकल मशीनों में
ट्रांसफॉर्मर के कोर में फ्लक्स की गणना से यह जाना जाता है कि कितना विद्युत क्षेत्र प्रभावी रूप से स्थानांतरित हो रहा है। यह डिज़ाइन और दक्षता दोनों में सहायक होता है।
5. फ्लक्स सेंसर और मापन यंत्रों में
इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक फ्लक्स को मापने वाले यंत्रों में फ्लक्स की अवधारणा का उपयोग होता है, जिससे उद्योगों में रीयल टाइम डेटा प्राप्त किया जाता है।
6. इलेक्ट्रोस्टैटिक शील्डिंग में
फ्लक्स के ज्ञान से यह तय किया जाता है कि किसी संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को बाहरी विद्युत क्षेत्रों से कैसे बचाया जाए।