कूलाम का नियम: परिभाषा,सूत्र, सदिश रूप और उदाहरण class 12th Physics

Written By Akhilesh Patel

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कूलाम का नियम भौतिकी का एक महत्वपूर्ण नियम है, जो विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले बल को परिभाषित करता है।

गर्मियों के दिनों में या शुष्क दिनों में आपने यह जरूर एहसास किया होगा की जब आप अपने कपड़े उतारते हो तो उन कपड़ों से चट पट की आवाज सुनाई देती है या जब बालों को कंघी करते हो तो उस कंघी में छोटी वस्तुएं जैसे कागज के टुकड़ों को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।

हैरानी की बात है न। 

कि बालों को कंघी करने से कंघी में चुंबक की तरह वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।

यह किसी जादू से कम नहीं है । है न।

लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह कोई जादू नहीं है । यह ऐसा इस लिए होता है क्योंकि कंघी बालों के द्वारा आवेशित हो जाती है ।

“आवेश किसी पदार्थ का एक मौलिक गुण होता है।”

जब किसी दो भिन्न भिन्न वस्तुओ को परस्पर रगड़ा जाता है तो दोनों वस्तुओं पर समान मात्रा का विपरीत आवेश आ जाता है ।

यदि इन वस्तुओं पर समान प्रकार का आवेश होगा तो यह एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे लेकिन अगर आवेश विपरीत प्रकार का है तो यह वस्तुएं एक दूसरे को आकर्षित करेंगी। 

यही वजह है कि जब हम बालों को कंघी करते हैं तो कंघी में वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण आ जाता है ।

वैद्युत आवेश के बारे  में हमने पहले ही एक पोस्ट पब्लिश कर रखी है जिसमे वैद्यूत आवेश के बारे में विस्तार से बताया गया है ।

कूलाम का नियम

आज के इस पोस्ट में हम कूलाम के नियम (Coulomb’s Law in Hindi) के बारे में जानेंगे कि कूलाम का नियम क्या हैकूलाम के नियम का सदिश रुप क्या है ,कूलाम के नियम का फॉर्मूला क्या है आदि ।

What is Coulomb Law in Hindi? कूलाम का नियम क्या है ?

वैज्ञानिक चार्ल्स ऑगस्टिन कूलॉम ने 1780 के दशक में कूलॉम नियम को प्रस्तावित किया था ।  इस नियम के द्वारा उन्होंने यह बताया की दो स्थिर वैदयुत आवेशों के बीच में किस प्रकार का बल (आकर्षण या प्रतिकर्षण ) लगेगा और कितना बल लगेगा । उन्होंने दो आवेशो के बीच कार्य करने वाले बल के संबंध में एक नियम दिया जिसे ‘ कुलाम ‘ का नियम कहते हैं।

आइए एक उदाहरण से कूलाम के नियम को आसानी से समझते है।
कल्पना कीजिए कि आपके पास दो गुब्बारे हैं – एक लाल और एक नीला। लाल गुब्बारे को रगड़ने से उस पर ऋणात्मक आवेश (negative charge) आ जाता है और नीले गुब्बारे को रगड़ने पर उस पर धनात्मक आवेश (positive charge) आ जाता है। अब इन दोनों गुब्बारों को पास लाने पर क्या होगा?

  • आकर्षण (Attraction): यदि लाल और नीला गुब्बारा (विपरीत आवेश) एक दूसरे के पास लाए जाते हैं, तो वे एक-दूसरे की ओर खींचे चले जाते हैं। कूलॉम का नियम बताता है कि विपरीत आवेशों के बीच आकर्षण बल होता है।
  • प्रतिकर्षण (Repulsion): लेकिन, अगर आप दोनों लाल गुब्बारे (समान आवेश) या दोनों नीले गुब्बारे (समान आवेश) को पास लाते हैं, तो वे एक-दूसरे को दूर धकेलने लगेंगे। कूलॉम का नियम यह भी कहता है कि समान आवेशों के बीच प्रतिकर्षण बल होता है।

कूलॉम के नियम का गणितीय सूत्र 

कूलाम ने दो स्थिर विद्युत आवेशो के बीच में कितना बल लगेगा  ,इसके लिए एक गणितीय सूत्र दिया । कुलाम के नियम के अनुसार ,

दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के  अनुक्रमानुपाती तथा दोनों आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

माना कि दो बिंदु आवेश q1 व q2 हैं जो एक दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं,तो उनके बीच लगने वाला वैद्युत बल F है तब ,

F ∝ q1.q2
 
F ∝ 1/r2
अतः 
F ∝ q1.q2/ r2
 
अथवा
F = k.q1q2/r2                     …………….(I)
 
 
जहां k अनुक्रमानुपातिक नियतांक है जिसका मान आवेशों के बीच माध्यम पर तथा आवेश, दूरी व बल के मात्रको  पर निर्भर करता है । अतः प्रयोगों द्वारा के k का मान 9 × 109 Nm2/ C2  आता है । अतः निर्वात अथवा वायु में रखे दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल 
 
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यदि बिंदु आवेश निर्वात में स्थित हो तब सुविधा के लिए ,समीकरण I में अनुक्रमाणुपाती नियतांक K को 1/4 π εलिख सकते हैं ।  अतः
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कूलाम के नियम का सदिश स्वरूप । Coulomb’s law in vector form 

दोस्तों अभी तक हमने जाना कि जब दो आवेशाें को पास लाया जाता है तो  उन दोनों आवेशों के बीच एक विद्युत बल कार्य करने लगता है , यदि आवेश समान प्रकार के हैं तो प्रतिकर्षण बल लगेगा और आवेश विपरीत प्रकार के हैं तो उनके बीच आकर्षण बल लगेगा और कूलाम का नियम हमें इन दोनों आवेशों के बीच लगने वाले बल के परिमाण को बताता है कि दोनों आवेशों के बीच कितना बल कार्य कर रहा है । 
लेकिन यदि हमें यह ज्ञात करना हो कि बल किस दिशा में लग  रहा  है तो इसके लिए कूलाम के नियम का सदिश रूप प्रयोग किया जाता है ।
अतः हम कह सकते हैं कि 
विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले की दिशा  और परिमाण दोनों की जानकारी के लिए कूलाम के सदिश रूप का प्रयोग किया जाता है ।” 
आइए कूलाम के नियम के इस सदिश रूप को विस्तार से समझते हैं।
कूलाम के नियम का सदिश स्वरूप
माना दो समान प्रकार के बिंदु आवेश q1 व q2 अपने origin point से r1 व r2 दूरी पर स्थित हैं। q1 का q2 के सापेक्ष स्थिति विस्थापन r12  है तथा q2 का q1 के सापेक्ष स्थिति विस्थापन  r21 है ।
माना कि दोनो आवेश समान प्रकार के हैं तब इन दोनों आवेशों के बीच एक प्रतिकर्षण बल कार्य करेगा ।
माना कि आवेश q1 पर आवेश q2 के कारण लगने वाला प्रतिकर्षण बल F12→ है , तथा आवेश q2 पर आवेश q1 के कारण लगने वाला प्रतिकर्षण बल F21→ है ।
किसी सदिश की दिशा का उल्लेख करने के लिए उस सदिश के अनुदिश उसके unit vector द्वारा किया जाता है । अतः
इस प्रकार , आवेश q2 के कारण आवेश q1 पर आरोपित बल 
इसी प्रकार,आवेश q1 के कारण आवेश q2 पर आरोपित बल 

IMPORTANCE OF COULOMB LAW / कूलाम के निय का महत्व 

कूलाम का नियम न सिर्फ केवल दो आवेशित वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले बल के बारे में बताता है बल्कि यह नियम उन बलो को भी समझने में सहायता करता है जिसके कारण किसी परमाणु के के इलेक्ट्रॉन उसके नाभिक के साथ बंधकर परमाणु की रचना करते हैं ।
कूलाम के नियम के महत्व के कुछ प्वाइंट नीचे दिए जा रहे हैं,
  • कूलाम के नियम का कोई गणितीय उत्पत्ति नहीं है । कूलाम का नियम प्रयोगात्मक कार्यों पर आधारित है ।
  • कूलाम का नियम बिंदु तथा स्थिर अवेशो के लिए ही सत्य है ।
  • कूलाम का नियम माध्यम पर निर्भर करता है । 
  • दो समान प्रकृति के आवेशों के कारण कोई तीसरा आवेश तब संतुलन में रह सकता है जब वह आवेशों के बीच रखा जाए। 
  • दो विपरीत प्रकृति के आवेशों के कारण एक तीसरा आवेश तब तक संतुलन में रह सकता है जब वह आवेशों के बाहर काम परिमाण वाले आवेश की ओर रखा जाए ।
  • आवेशों के निकाय में यदि कोई आवेश संतुलन में है तो इसका अर्थ है कि उसे आवेश पर परिणामी बाल शून्य है और यदि पूरा निकाय संतुलन में है तो इसका अर्थ है कि निकाय के प्रत्येक आवेश पर लगने वाला नेट बल शून्य है।

Limitation of Coulomb Law/ कूलाम के नियम की सीमाएं 

  • कूलाम का नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए ही सत्य है ।
  • यह नियम अधिक दूरी के सत्य नहीं है ।
  • यह नियम 10^-15 मीटर से कम दूरियों के लिए भी सत्य नहीं है, क्योंकि 10^-15 मीटर से कम दूरियों पर नाभिकीय बल की प्रधानता के कारण ये बल अनुपयुक्त हो जाता है ।
  • यह एक सार्वत्रिक(universal) नियम नहीं है।.
  • कूलाम का नियम स्थिर अवेशो के लिए ही सत्य है  गतिमान आवेश के लिए नहीं। 

Principle of Super position /अध्यारोपण का सिद्धांत 

कूलाम का नियम हमे केवल दो स्थिर आवेशों के बीच लगने वाले विद्युत बल की मात्रा को बताता है ।
लेकिन यदि किसी निकाय में अनेक आवेश हों तो उनमें से किसी एक आवेश पर उन सभी आवेशों के कारण कितना बल कार्य कर रहा है ? इसके लिए अध्यारोपण सिद्धांत उपयोग में लाया जाता है ।
अध्यारोपण सिद्धांत के अनुसार,

“यदि किसी निकाय में अनेक आवेश हो तो उनमें से किसी एक आवेश पर पर कई अन्य आवेशों के कारण बल उस आवेश पर लगे सभी बलों के वेक्टर योग के बराबर होता है । जो इन आवेशों द्वारा इस आवेश पर एक-एक कर लगाया जाता है इसे अध्यारोपण का सिद्धांत कहते हैं ।”

माना कि निकाय में n आवेश q1,q2,q3,………….qn हैं। माना कि हमे q1 पर लगने वाले वैद्युत बल ज्ञात करना है

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तब q2, q3,……..qn के सापेक्ष आवेश q1 के स्थित वेक्टर क्रमशः r12,r13,……..r1n हैं , तब 
आवेश q2 के कारण q1 पर विद्युत बल ,
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इसी प्रकार आवेश q3 के कारण q1 पर विद्युत बल ,
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आवेश qn के कारण q1 पर विद्युत बल ,
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अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार सभी आवेशों के निकाय के कारण q1 पर परिणामी वैद्युत बल ,

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इसी प्रकार किसी भी अन्य आवेश पर शेष बचे आवेशाे के कारण लगने वाले बल को ज्ञात करने के लिए यही विधि अपनाई जाएगी ।।
 
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने जाना की कूलाम का नियम क्या होता है ? साथ ही कूलाम के नियम के सदिश स्वरूप को भी जाना और अध्यारोपण सिद्धांत को भी समझा ।
आशा करता हु कि कूलाम के नियम से संबंधित यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी । 
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Akhilesh Patel

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